Bihar First Bihari First: कैसे चिराग अपने पिता रामविलास से अलग राह बना रहे, कैसे लोजपा की राजनीति में आया 180 डिग्री का बदलाव? | Chirag Paswan will Fight Bihar Assembly Election 2025 how differs from father Ramvilas Paswan politics

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केंद्र की राजनीति में सक्रिय रहे रामविलास

भारतीय राजनीति में रामविलास पासवान (Ramvilas Paswan) बड़ा नाम रहे। उन्हें मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता था। सियासी हवा का रुख भांप कर वह कभी भाजपा (BJP) के साथ तो कभी कांग्रेस (Congress) के साथ गठजोड़ कर लेते थे। उन्होंने पूरा समय केंद्र की राजनीति में बिताया लेकिन चिराग पिता का रास्ता छोड़ नए राह पर चलने का मन बना चुके हैं। चिराग अपने पिता की गलतियों को नहीं दोहराना चाहते हैं। वह सिर्फ केंद्र की राजनीति तक सीमिन न रहकर बिहार की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने का मन बना चुके हैं।

रामविलास ने 6 प्रधानमंत्रियों संग किया काम

लोजपा प्रमुख रामविलास ने 6 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है। 1989 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वह वीपी सिंह की कैबिनेट में शामिल हुए। उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया। एचडी देवगौडा और इंद्र कुमार गुजराल की सरकारों में वह रेल मंत्री बने। फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह संचार मंत्री और कोयला मंत्री बने। इसके बाद मनमोहन सिंह की सरकार के साथ जुड़े। 2014 में उन्होंने भाजपा के साथ एक बार फिर गठबंधन कर लिया। मोदी कैबिनेट में वह उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का कार्यभार संभाला।

1969 में शुरू हआ था रामविलास की राजनीतिक सफर

रामविलास पासवान के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1969 में शुरु हुई। वह संयुक्त सोशलिस्ट यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी (संसोपा) के विधायक के रुप में आरक्षित विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। आपातकाल के बाद 1977 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने हाजीपुर संसदीय सीट से 4 लाख रिकॉर्ड मतों के अंतर से जीत हासिल की।

2005 में बने थे किंगमेकर

साल 2000 में रामविलास पासवान जनता दल से अलग हो गए। उन्होंने लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया। फरवरी 2005 के बिहार राज्य चुनावों में पासवान की पार्टी एलजेपी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनकी पार्टी ने 29 सीटों पर जीत दर्ज की। वह बिहार की सत्ता में किंगमेकर की भूमिका में उभरे। दरअसल, उस चुनाव में किसी भी दल या गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। पासवान ने किसी को भी समर्थन करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद दोबारा चुनाव कराए गए और नीतीश बिहार की सत्ता पर काबिज हो गए।

नीतीश और अटल ने दिया था सीएम बनने का ऑफर

2005 में चुनावी नतीजे सामने आने के बाद पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजयपेयी और जदूय नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने रामविलास को सीएम बनने को कहा था, लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह केंद्र की राजनीति करना चाहते हैं। मगर चिराग बिहार की राजनीति करना चाहते हैं। वह कई बार इसपर खुलकर अपनी राय दे चुके हैं। बिहार की राजनीति का मतलब राज्य की सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेने की कोशिश रहेगी।

चिराग बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट की बात करते हैं

चिराग पासवान दलित राजनीति (Dalit Politics) को साधने के साथ-साथ समावेशी राजनीति की ओर झुक रहे हैं। वह लगातार अपने रैली में बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट की बात करते हुए दिख रहे हैं। आरा की रैली में उन्होंने कहा कि बिहार को फर्स्ट बनाना हमारा लक्ष्य है। वे खुद को सिर्फ दलितों के नहीं बल्कि पूरे बिहार के नेता के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। वहीं, भारतीय राजनीति में रामविलास पासवान ने दलित नेता के रूप में पहचान बनाई थी। वे दलित हितों की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहते थे।

चिराग का युवाओं व छात्रों से जुड़ाव

रामविलास पासवान की राजनीति आरक्षण, सामाजिक न्याय और प्रतिनिधित्व पर केंद्रित थी। चिराग इन सभी को साधने के साथ साथ युवाओं को राजनीति के केंद्र बिंदु में रख रहे हैं। उनके पार्टी के पोस्टर बैनर्स में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दे प्रमुख होते हैं।

नीतीश संग चिराग के खट्टे मीठे रिश्ते

चिराग पासवान के बिहार के सीएम नीतीश कुमार के साथ खट्टे मीठे रिश्ते रहे हैं। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा था। लोजपा ने जदयू को 35 सीटों पर नुकसान पहुंचाया था। जिससे जदयू की सीटें घटकर 43 पर आ गई। लेकिन बीते कुछ महीनों से वह लगातार सीेएम नीतीश कुमार से मिल रहे हैं। नीतीश कुमार ने हाल ही में लोजपा के राष्ट्रीय महासचिव और चिराग पासवान के जीजा धनंजय मृणाल पासवान को अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बनाया है।

जीजा अरुण ने लिखा था, चिराग को बड़ी भूमिका निभानी चाहिए

जमुई से सांसद व चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती ने X पर लिखा था कि चिराग को अब बिहार में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ताओं में यह भावना है कि वो आरक्षित सीट से नहीं बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ें। इससे पहले बिहार प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भी चिराग पासवान के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की मांग का प्रस्ताव पारित किया था।

NDA में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला

चिराग पासवान व उनकी पार्टी लगातार 50 सीटों पर दावा ठोक रही है। पार्टी के कई नेता कह रहे हैं कि 50 सीटों पर लोजपा (रामविलास) चुनाव लड़ेगी लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर पेंच फंसा हुआ है। बीते दिनों बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में बीजेपी की एक मीटिंग हुई थी। उसमें सीट शेयरिंग को लेकर पहला खांका खींचा गया। माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत जदयू 102-103 सीट, बीजेपी 101-102 सीट, लोजपा (रामविलास) 25-28 सीट, हम (सेक्युलर) 6-7 सीट, रालोम 4-5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।





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