Balancing Freedom and Responsibility: The Urgent Need for Media Self-Regulation

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Freedom and Responsibility का संतुलन: Media Self-Regulation की अत्यंत आवश्यकता

हाल ही में Supreme court ने ethical conduct and responsible reporting सुनिश्चित करने के लिये टेलीविज़न चैनलों द्वारा अपनाए गए self-regulatory mechanisms को मज़बूत करने के महत्त्व पर बल दिया है।

इस मुद्दे पर जब हमने अपने एक दोस्त से बात की तो उनका क्या कहना था देखते है

सुप्रीम कोर्ट चाहता है कि मीडिया जिम्मेदारी भरे तरीके से काम करे। इसका मतलब है कि वे सच्ची खबरें दें और ध्यान आकर्षित करने के लिए खबरों को अत्यधिक रोमांचपूर्ण न बनाएं। इससे लोग समाचार पर अधिक भरोसा कर सकते हैं और लोगों के अधिकारों की सुरक्षा भी होती है। यह स्वतंत्रता और न्याय के बीच एक अच्छा संतुलन बनाए रखने का एक तरीका है।

§  News Broadcasters and Digital Association (NBDA) द्वारा self-regulation की प्रभावशीलता के विरुद्ध Bombay High Court द्वारा की गई टिप्पणियों को चुनौती देने वाली अपील पर सुनवाई कर रहा था।

§  बॉम्बे उच्च न्यायालय ने media trials की आलोचना के साथ ही स्पष्ट किया कि मौजूदा self-regulatory mechanisms में वैधानिक तंत्र के चरित्र का अभाव है।

What are the SC’s Observations?

§  Balancing Regulation and Freedom of Speech:

o    सर्वोच्च न्यायालय ने media content में ethical standards को बनाए रखते हुए सरकार द्वारा pre-censorship or post-censorship से बचने के महत्त्व को स्वीकार किया।

o    न्यायालय ने media outlets द्वारा self-regulation के विचार की सराहना की लेकिन इस बात पर ज़ोर दिया कि unethical conduct को रोकने के लिये ऐसे mechanisms अधिक प्रभावी होने चाहिये।

o    Notice Issued to Strengthen Regulatory Framework:

o    सर्वोच्च न्यायालय ने regulatory framework में वृद्धि के लिये NBDA और अन्य संबंधित पक्षों को एक नोटिस जारी किया।

o    न्यायालय ने इस बात की जाँच करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया कि क्या self-regulatory mechanisms स्थापित करने के लिये उठाए गए मौजूदा कदमों को अधिकार क्षेत्र और उल्लंघन के अंतिम परिणामों दोनों के संदर्भ में मज़बूत करने की आवश्यकता है।

§  Concerns Over Media Behavior:

o    सर्वोच्च न्यायालय ने एक अभिनेता की मौत के बाद मीडिया कवरेज के कारण भड़के उन्माद पर प्रकाश डाला, जहाँ अपराध या निर्दोषता का अनुमान चल रही जाँच को प्रभावित कर सकता है।

o    न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मीडिया की भूमिका सार्वजनिक राय को आकार देने के बजाय दोषी साबित होने तक निर्दोषता की धारणा को बनाए रखने की होनी चाहिये।

§  Proposals to Enhance Fines and Guidelines:

o    न्यायालय ने उल्लंघनों के लिये लगाए गए मौजूदा 1 लाख रुपए के ज़ुर्माने की adequacy पर सवाल उठाया, सुझाव दिया कि ज़ुर्माना पूरे शो से होने वाले मुनाफे के proportionate में होना चाहिये।

अंत में निष्कर्ष ये निकलता है की :

  • television channels के unethical conduct के लिये ज़ुर्माने में बदलाव करने का सर्वोच्च न्यायालय का फैसला free speech की सुरक्षा करते हुए मीडिया की नैतिकता और ज़िम्मेदार रिपोर्टिंग को बनाए रखने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

§  regulatory bodies को शामिल करने और strict penalties का प्रावधान करने का न्यायालय का निर्णय मीडिया की स्वतंत्रता और नैतिक ज़िम्मेदारी को संतुलित करने की दिशा में न्यायालय के proactive stance को प्रदर्शित करता है।

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