6000 करोड़ की ठगी: आरोपी भूपेन्द्र झाला को 7 दिन के रिमाण्ड पर सीआईडी को सौंपा

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जांच एजेंसी ने आरोपी से पूछताछ के लिए 14 दिन का रिमांड मांगा। आरोपी झाला की ओर से कोई वकील पेश नहीं होने के चलते अदालत ने आरोपी को नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी (एनएलएसए) गुजरात की ओर से वकील मुहैया कराया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी झाला को आगामी 4 जनवरी तक के रिमाण्ड पर सीआईडी क्राइम को सौंपा। एनएलएसए गुजरात की ओर से झाला का पक्ष रखने वाले वकील ने अदालत को बताया कि जांच अधिकारी ने जिन 29 मुद्दों को लेकर 14 दिनों के पुलिस रिमांड की मांग की। इसमें से कई मुद्दों की जानकारी आरोपी पूछताछ में पहले ही बता चुका है। ऐसे में जांच अधिकारी की ओर से 14 दिन के रिमाण्ड को मंजूर नहीं किया जाए। ़

चार साल में 7 कंपनियां आरंभ की, 360 करोड़ के ट्रांजेक्शन

उधर सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि आरोपी ने ऊंचे ब्याज का झांसा देकर लोगों को ठगा है। वर्ष 2020 से 2024 के दौरान आरोपी ने हिस्सेदारी में सात कंपनियां आरंभ की। इन कंपनियों के 360 करोड़ के बैंक ट्रांजेक्शन मिले हैं। 52 करोड़ नकद व उससे जुड़े दो चोपड़े जब्त किए गए हैं। इन कंपनियों के जरिए की गई ठगी में इसके साथ कौन-कौन एजेंट शामिल थे, उसकी जांच करनी है। इसके लिए आरोपी की उपस्थिति की जरूरत है।आरोपी ने मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम शुरू की थी। इसमें किसने आरोपी की मदद की, किसने कितनी आर्थिक मदद की। किस एजेंट को आरोपी ने कितना कमीशन दिया। इस सभी मुद्दों पर जांच करनी है। आरोपी ने बी जेड फाइनेंशियल सर्विस व अन्य कपनियों की राज्यभर में 18 शाखाएं शुरू की थी। इन शाखाओं में कर्मचारियों, एजेंट ने झाला के जरिए कितने रुपए कमाए। इन शाखाओं में लोगों को झांसा देकर रकम कौन वसूलता था। यह रकम कहां भेजी जाती थी। इन सभी को लेकर जांच करनी है।

एक महीने तक था फरार

आरोपी झाला के विरुद्ध एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद वह फरार हो गया। उसके बाद उसकी कंपनी की वेबसाइट बंद हो गई। ऐसे में वेबसाइट की जांच व डाटा पाने के लिए आरोपी की जरूरत है। आरोपी ने अपने सभी फोन बंद कर दिए थे। मामला दर्ज होने के बाद फरार रहने के दौरान आरोपी की किसने मदद की और वह कहां-कहां छिपा इसकी जांच करनी है।



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