6 best tips for a positive development of mentality in old age

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6 best tips for a positive development of mentality in old age

बढ़ती उम्र में मानसिकता के Positive Development के लिए 6 बेहतरीन टिप्स

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ एजिंग एंड ह्यूमन Development द्वारा की गई हाल की रिसर्च से एक बहुत ही रोमांचक बात सामने आई है, वह बुजु़र्ग जिनकी मानसिकता विकासशील नहीं होती उनके मुकाबले विकासशील माइंडसेट वाले लोगों के दिमागी स्वास्थ्य का स्तर काफ़ी अच्छा होता है। 

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है की उम्र का बढ़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।  वृद्धावस्था में हमारे शरीर और दिमाग दोनों की क्षमताओं में गिरावट आती है लेकिन रिसर्चों से पता चलता है कि बुजु़र्ग अपनी मानसिकता या माइंडसेट को विकासशील बनाकर अपने दिमाग को एक्टिव रख सकते हैं। विकासशील मानसिकता से बुजुर्ग अपने दिमाग और जीवन को सेहतमंद बना सकते हैं।

विकासशील मानसिकता या ग्रोथ माइंडसेट है क्या?

विकासशील मानसिकता या ग्रोथ माइंडसेट का यह मतलब है कि अगर हम अपनी याददाश्त अच्छी रखना चाहते हैं और नई चीजें सीखने की इच्छा रखते हैं तो यह सोच हमारे दिमाग और जीवन को स्वस्थ बनाए रखती है। ऐसे माइंडसेट वाले लोग यह मानते हैं कि दिमाग ‘लचीला’ है और उम्र के हर पड़ाव में दिमा  ग में जरूरी न्यूरोप्लास्टिसिटी होती है। जब हमारा दिमाग कुछ भी नया सीखता है तो उसके जवाब में  नए कनेक्शन और सिनैप्स बनाने की क्षमता रखता है जिसे न्यूरोप्लास्टिसिटी कहते हैं। जब भी हम कुछ नया सीखते या अपने दिमाग को कुछ नया सीखने के लिए चुनौती देते हैं तो हमारा दिमाग यह नए कनेक्शन बनाता है और  इसी से विकासशील सोच को बढ़ावा मिलता है।

न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट डॉ. सेलेस्टे कैंपबेल (वाशिंगटन, डी सी वेटरन्स एडमिनिस्ट्रेशन मेडिकल सेंटर) ने बताया कि ‘’जैसे-जैसे हमारी ज़रूरतें बदलती जाती हैं वैसे-वैसे ही हमारे दिमाग की सेल्स के बीच कनेक्शन बनते जाते हैं। यह प्रक्रिया गर्भाशय में दिमाग के बनने से शुरू होती है और व्यक्ति के मरने तक होती रहती है इसी गतिशील प्रक्रिया की मदद से हम सीख पाते हैं औरअलग-अलग माहौल में एडजस्ट कर पाते हैं’’।

फिक्स्ड माइंडसेट या स्थिर मानसिकता वाले लोगों का यह मानना होता है की बुद्धि जन्मजात होती है और कोशिश करके भी इसको सुधारा नहीं जा सकता। वृद्धावस्था में  ऐसी सोच ज़्यादा पाई जाती है। विकासशील मानसिकता का महत्व यह है कि वह हमारी सोचने-समझने की शक्ति को बढ़ाती है, कुछ नया सीखने की हमारी इच्छा को भी पूरा करती है, और हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।

बढ़ती उम्र में मानसिकता के पॉजिटिव Development के लिए यह 6 टिप्स मददगार साबित हो सकते हैं:

  1. कुछ नया सीखने और अपनी सोच को सकारात्मक बनाने की इच्छा रखें:

कुछ नया सीखने की इच्छा रखने से आपके अंदर उत्साह बना रहेगा। आपका दिमाग इस बात को मानेगा कि आप कोई भी नया कौशल सीख सकते हैं। इससे  चीजों को सीखने की आपकी इच्छा तो पूरी होगी ही साथ ही आपको आनंद भी मिलेगा।

  1. अपनी रुचि से जुड़ा हुआ कोई नया कौशल सीखें:

अपने आप को चैलेंज करें और अपनी हॉबी या रुचि के कामों में कोई नया हुनर सीखें। इससे आप अपने समय का सदुपयोग भी कर पाएंगे और आपकी सोच विकासशील बनेगी।

  1. अपनी सभी इंद्रियों का इस्तेमाल करते हुए काम की प्रक्रिया का आनंद लें: 

कोई भी काम करते समय या नया हुनर सीखने में सभी इंद्रियों का इस्तेमाल करने से काम को बेहतर तरीके से समझा जा सकता है। काम का पूरा हो जाने के बजाय उसका पूरा होने की पूरी प्रक्रिया का आनंद लें।

  1. पौष्टिक खाना खाएं और रोज़ व्यायाम करें

सादा और पौष्टिक खाना जिसमें हरी सब्जियां और फल शामिल हों खाने से मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहता है। शारीरिक व्यायाम, योग, ध्यान आदि को अपने डेली रूटीन में शामिल करने से मानसिक तनाव कम होता है और बढ़ती उम्र में व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ रहता है।

  1. अपने आपको स्वीकार करें और आत्मविश्वास रखें:

अपने आपको अपनी कमियों और क्षमताओं के साथ स्वीकार करने से मानसिक स्वास्थ्य मजबूत होता है। खुद पर विश्वास रखें कि आप नयी चीजों को सीख सकते हैं।

  1. आध्यात्मिकता में रुचि बढ़ाएं:

आध्यात्मिक किताबें पढ़ना, मेडिटेशन करना, प्रकृति में समय प्रकृति के साथ समय गुजारना और अपने आंतरिक मन पर ध्यान देने से आध्यात्मिक विकास होता है। इससे मन की परेशानियां दूर होती हैं और एक सकारात्मक दृष्टिकोण मिलता है।

रिसर्चों द्वारा प्रमाणित है की बढ़ती उम्र में नए काम करने के लिए खुद को चैलेंज करने से सोचने-समझने की शक्ति मजबूत होती है और जीवन भर सकारात्मक और विकासशील सोच बनाए रखने में मदद मिलती है। ग्रोथ माइंडसेट एक धारणा है जिसे अपनाने से खुद को चुनौती देने वाले काम करने के लिए व्यक्ति प्रेरित होता है और अपनी मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। 

बढ़ती उम्र में नए काम करने के लिए खुद को चैलेंज करने से सोचने-समझने की शक्ति मजबूत होती है और जीवन भर सकारात्मक और विकासशील सोच बनाए रखने में मदद मिलती है। ग्रोथ माइंडसेट एक धारणा है जिसे अपनाने से खुद को चुनौती देने वाले काम करने के लिए व्यक्ति प्रेरित होता है और अपनी मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।

उम्र के हर पड़ाव में खासकर बढ़ती उम्र में सकारात्मक Development मानसिकता होना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे व्यक्ति जीवंत बना रहता है।

बुजु़र्ग अपनी मानसिकता या माइंडसेट को विकासशील बनाकर अपने दिमाग को एक्टिव रख सकते हैं। विकासशील मानसिकता से बुजुर्ग अपने दिमाग और जीवन को सेहतमंद बना सकते हैं।

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