झारखंड में आबकारी कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में 12 की मौत, क्या सरकार ने अपने प्रचार के लिए किया भर्ती नियमों में बदलाव, जानिए यहां

    0
    58
    "12 killed in Jharkhand excise constable exam: Did government change rules for publicity?".
    "12 killed in Jharkhand excise constable exam: Did government change rules for publicity?".

    झारखंड राज्य के गठन के बाद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान चलाया जा रहा है। अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, सरकार लिखित परीक्षा से पहले शारीरिक फिटनेस का आयोजन केवल प्रचार पाने के लिए किया कि इतने बड़े लेवल पर सरकार भर्ती कर रही है।

    झारखंड आबकारी कांस्टेबल प्रतियोगी परीक्षा के लिए भर्ती अभियान के दौरान 12 कैंडीडेट्स की जान चली गई। जिसकी वजह यह बताई जा रही है कि मूल्यांकन नियमों में बदलाव से ऐसा हुआ है। दरअसल, उम्मीदवारों को 1.6 किलोमीटर की बजाय 10 किलोमीटर की दौड़ लगानी पड़ती है। बिना इसके फिटनेस के स्तर का आकलन नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा ह्यूमिडिटी अधिक होने और लिखित परीक्षा से पहले शारीरिक परीक्षण कराने का फैसला इन उम्मीदवारों की हुई मौतों की वजहों में से हैं। 

    शारीरिक फिटनेस के लिए 10 किमी दौड़ना अनिवार्य

    परीक्षा पास करने के लिए अब अनिवार्य अर्हता यह कर दी गई है कि शारीरिक फिटनेस के लिए 10 किलोमीटर की दौड़ लगाना ही पड़ेगा। शारीरिक परीक्षण को भर्ती के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। जिसकी देखरेख झारखंड पुलिस 22 अगस्त से कर रही है। यह भर्ती अभियान का पहला चरण है। योग्य उम्मीदवार 60 मिनट में दौड़ पूरी करते हैं और फिर भर्ती होने से पहले लिखित परीक्षा और आखिरी मेडिकल टेस्ट देते हैं। 

    मृतकों की उम्र 19 साल से 31 साल के बीच

    जिन अभ्यर्थियों की मौत हुई है, उनकी उम्र महज 19 से 31 साल के बीच है। ये अभ्यर्थी हैं पलामू के अमरेश कुमार, प्रदीप कुमार, अजय महतो, अरुण कुमार और दीपक कुमार पांडू, हजारीबाग के मनोज कुमार और सूरज कुमार वर्मा हैं। साहिबगंज से विकास लिंडा और गिरिडीह से सुमित यादव हैं। तीन अन्य का डिटेल अभी तक सामने नहीं आया है। 

    2 सितंबर तक कुल 1.87 लाख उम्मीदवार शारीरिक परीक्षण के लिए उपस्थित हुए, जिनमें से 1.17 लाख अगले दौर के लिए योग्य पाए गए हैं। 

    राज्य में पहली बार चलाया जा रहा भर्ती अभियान

    सरकारी सूत्रों के मुताबिक, जबसे झारखंड राज्य का गठन हुआ है, यह पहली बार हो रहा है कि इस तरह का भर्ती अभियान चलाया जा रहा है। इसे 2008 और 2019 में भी शुरू किया गया था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया। 

    सरकार ने दिए जांच के आदेश

    राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने इस अभ्यास की जांच के आदेश दिए हैं, जिसे रोक दिया गया था और अब 9 सितंबर को फिर से शुरू होगा। इस जांच की रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है।

    सरकार के मुताबिक, सब कुछ सही तरीके से हुआ

    राज्य सरकार का दावा है कि परीक्षण कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किए गए थे। पुलिस का कहना है कि कई उम्मीदवारों की मौत दिल के दौरे के कारण हुई है, जिसकी वजहें अलग-अलग हो सकती हैं।  

    बदलाव के पहले 6 मिनट में 1.6 किमी दौड़ की अनिवार्यता

    सरकारी सूत्रों ने कहा कि समस्या की जड़ 2016 में मूल्यांकन नियमों में किए गए बदलाव में हो सकती है। 1 अगस्त, 2016 को प्रकाशित झारखंड के आबकारी विभाग की अधिसूचना के माध्यम से, तत्कालीन सरकार ने झारखंड आबकारी कांस्टेबल कैडर (भर्ती और सेवा शर्तें) नियम, 2013 में संशोधन किया, जिसके अनुसार उम्मीदवार को छह मिनट में 1.6 किलोमीटर या एक मील दौड़ना होगा। 

    एक घंटे में 10 किमी की दौड़ लगाना अनिवार्य

    झारखंड राज्य पुलिस भर्ती नियम (पुलिस सेवा के लिए भर्ती पद्धति), 2014 की तर्ज पर बनाए गए संशोधित नियमों का मतलब है कि पुरुषों को 60 मिनट में 10 किलोमीटर और महिलाओं को पांच किलोमीटर दौड़ना होगा। 

    ज्यादा अभ्यर्थियों को शामिल कराकर प्रचार की मंशा

    हायर लेवल के एक सूत्र के मुताबिक, इस बदलाव का मतलब यह था कि लिखित परीक्षा से पहले शारीरिक परीक्षण आयोजित किए जाने से अधिक उम्मीदवार प्रतिस्पर्धा करेंगे। मौजूदा सरकार इस बात के लिए शोर मचाना चाहती थी कि भर्ती हो रही है और उम्मीदवारों की संख्या जितनी अधिक होगी, उतना ही प्रचार होगा। 

    भर्ती नियमों में क्यों किए गए बदलाव?

    मूल्यांकन नियमों में बदलाव के बारे में आबकारी विभाग के सचिव मनोज कुमार कहते हैं कि 2016 के नियमों ने आबकारी कांस्टेबलों के लिए 10 किलोमीटर की दौड़ को पुलिस भर्ती नियमों के बराबर अनिवार्य कर दिया गया, क्योंकि दोनों कांस्टेबलों का काम एक लगभग एक जैसा ही होता है।  

    टैलेंट से अधिक शारीरिक फिटनेस की जरूरत

    आबकारी सचिव से जब यह जानने की कोशिश की गई कि लिखित परीक्षा से पहले शारीरिक मूल्यांकन परीक्षण क्यों किया गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि सभी उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा आयोजित करने का कोई मतलब नहीं होता है, क्योंकि टैलेंट से अधिक शारीरिक फिटनेस की आवश्यकता होती है। 

    कभी 10 किलोमीटर की दौड़ का अभ्यास नहीं किया

    सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उम्मीदवारों की फिटनेस के लेवल की जांच करने के लिए बेसिक हेल्थ चेकअप की कमी और ह्यूमिडिटी का लेवल अधिक होना। ये ऐसे कारक हैं जो इसमें भूमिका निभा सकते हैं। परीक्षण सुबह 6 बजे से दोपहर के बीच किए गए थे और स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, कई उम्मीदवारों को उनके ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के बाद अस्पताल ले जाना पड़ा।

    पुलिस ने दर्ज किया अप्राकृतिक मौत का मामला

    फिलहाल, पुलिस ने अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया है। लेकिन मौतों ने सत्तारूढ़ झामुमो सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक तकरार को जन्म दे दिया है।

    गौरतलब है कि अब राज्य में इन मौतों को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने सरकार पर हमला बोला है। झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि इसके पहले के नियम इससे अलग थे। पहले लिखित परीक्षा ली जाती थी। उसके बाद शारीरिक फिटनेस का टेस्ट होता था। वहीं, राज्य के प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हेमंत विस्वासर्मा ने कहा कि बिना उचित प्रबंध के शारीरिक फिटनेस टेस्ट देने के लिए बुलाया गया। यह समय अनुकूल नहीं होता है। इस समय उमस बहुत अधिक होती है। सरकार टेस्ट अक्टूबर-नवंबर में ले सकती थी। हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछले 3-4 साल में लोगों के स्वास्थ्य में काफी बदलाव आए हैं।

    #indianpolitics #police #publicreaction #goverment #airrnews

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here