सनातन धर्म में हनुमान जी के भक्तों तथा मंदिरों की गिनती करना मूर्खता होगी। हनुमानजी को ब्रह्मचारी मानने वाले भक्तजन उनकी पूजा में विशेष सावधानी बरतते हैं। मंगलवार और शनिवार का दिन हनुमान जी पूजा-अर्चना के विशेष दिन माना जाता है। अब आप सोच रहे होंगे कि यदि ब्रह्मचारी होने के बावजूद भी हनुमानजी का विवाह कैसे हुआ था? इस स्टोरी में हम आपको ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा लेने वाले हनुमान जी के विवाह के बारे में बताने जा रहे हैं।
पाराशर संहिता के मुताबिक दक्षिण भारत में हनुमान जी के शादी की मान्यता है। गोस्वामी तुलसीदास की हनुमान चालीसा के अनुसार बाल्यावस्था के दौरान हनुमानजी एक बार भगवान सूर्य को लाल फल समझकर निगल गए थे, बाद में देवगणों के आग्रह पर उन्होंने सूर्यदेव को मुक्त कर दिया था। कथा के मुताबिक हनुमानजी ने सूर्यदेव को अपना गुरू मान लिया था और उनसे शिक्षा प्राप्त करने के लिए उनके पास पहुंच गए थे। दरअसल सूर्यदेव के पास ऐसी 9 दिव्य विद्याएं थीं जिनका ज्ञान बजरंग बली प्राप्त करना चाहते थे। शिक्षा ग्रहण करने के दौरान हनुमानजी ने भगवान सूर्य से 9 में से 5 विद्याएं हासिल कर ली लेकिन 4 विद्याओं के लिए उनके समक्ष संकट खड़ा हो गया। सूर्यदेव ने अपने शिष्य हनुमानजी से कहा कि ये 4 विद्याएं ऐसी हैं जिनके लिए विवाहित होना परम आवश्यक है।
हनुमान जी अपने गुरू सूर्यदेव से सभी विद्याएं किसी भी कीमत हासिल करना चाहते थे, ऐसे में उन्होंने भगवान सूर्य से इसका उपाय पूछा। तब सूर्यदेव ने अपनी पुत्री सुवर्चला से विवाह करने की सलाह दी। सूर्यदेव ने कहा कि उनकी पुत्री सुवर्चला ने भी एक सन्यासी का जीवन जीने का व्रत ले लिया है और वह जंगल में तपस्या कर रही है। ऐसे में यदि आप उससे विवाह कर लेंगे तो आप विद्या भी सीख लेंगे और आपका ब्रह्मचर्य भी बना रहेगा।
सूर्यदेव के विशेष आग्रह पर उनकी पुत्री सुवर्चला ने हनुमानजी से शादी कर ली और अपने वचन के अनुसार शादी होने के बाद तपस्या करने के लिए पुन: जंगल में चली गई। इस प्रकार विवाहित होकर हनुमान जी ने सूर्यदेव से शेष 4 कलाएं भी हासिल कर ली।
पराशर संहिता में इस बात का उल्लेख किया गया है कि हनुमानजी और सुवर्चला के विवाह को लेकर स्वयं भगवान सूर्य ने कहा कि यह शादी ब्रह्मांड के कल्याण के लिए हुई है, इससे हनुमानजी का ब्रह्मचर्य भी प्रभावित नहीं हुआ। जानकारी के लिए बता दें कि तेलंगाना के खम्मम जिले में एक ऐसा मंदिर है जिसमें हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला विराजमान है। यह मंदिर उस बाता का प्रमाण है कि हनुमानजी की शादी हुई थी। इस मंदिर में हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला के दर्शनों के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर से जुड़ी मान्यता है कि हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला के दर्शन करने के बाद घर में चल रहे पति-पत्नी का क्लेश हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है। मंदिर से जुड़ी कथा के मुताबिक हनुमानजी की पत्नी सुवर्चला भगवान सूर्य की पुत्री थीं।
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