मध्य प्रदेश में बीजेपी का तीन साल पहले वाला ‘आपरेशन लोट्स’ याद है, जी हां, इसी के चलते 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार को सत्ता से वंचित होना पड़ा था। कांग्रेस पार्टी के ही कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिधिंया और उनके समर्थित विधायकों के बगावत के बाद कमलनाथ को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। हांलाकि इस घटना को अभी कांग्रेस भूली नहीं है, साथ ही मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। इसके अतिरिक्त कर्नाटक में प्रचण्ड बहुमत से मिली जीत से कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या मध्य प्रदेश का चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी कर्नाटक वाला शिगूफा अपनाएगी।
क्या आपको मध्य प्रदेश में बीजेपी का तीन साल पहले वाला ‘आपरेशन लोट्स’ याद है, जी हां, इसी के चलते 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार को सत्ता से वंचित होना पड़ा था। कांग्रेस पार्टी के ही कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिधिंया और उनके समर्थित विधायकों के बगावत के बाद कमलनाथ को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी।
हांलाकि इस घटना को अभी कांग्रेस भूली नहीं है, साथ ही मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। इसके अतिरिक्त कर्नाटक में प्रचण्ड बहुमत से मिली जीत से कांग्रेस में जबरदस्त उत्साह है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या मध्य प्रदेश का चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस पार्टी कर्नाटक वाला शिगूफा अपनाएगी।
तो आइएजानते हैं मध्य प्रदेश में कर्नाटक वाले कैम्पेन का तरीका…
बता दें कि मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने ‘पोस्टर वार’ के रूप में अपने कैम्पेन की शुरूआत कर दी है। इस पोस्टर वार के तहत राज्यभर की सड़कों पर QR कोड वाला एक पोस्टर नजर आ रहा है जिसमें शिवराज सिंह चौहान की फोटो लगी है और लिखा है ‘50 प्रतिशत लाओ और PhonePe काम कराओ’। दरअसल इसी तरह का कैम्पेन कर्नाटक में लोगों के बीच खूब चर्चित हुआ था।
जानकारी के लिए बता दें कि कर्नाटक के कॉन्ट्रैक्टर्स ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर सूचित किया था कि राज्य सरकार हर काम के लिए 40 प्रतिशत कमीशन मांगती है। ऐसे में कर्नाटक कांग्रेस ने इस मुद्दे को लगे हाथ लपक लिया था। इसलिए कर्नाटक में जगह-जगह PayCM नाम से पोस्टर लगे थे, कांग्रेस ने ‘40 परसेंट सरकार’ नाम से एक वेबसाइट लॉन्च कर दी थी। पूरे कर्नाटक चुनाव के दौरान यह एक कीवर्ड बना रहा। चूंकि कर्नाटक में यह कैम्पेन पूरी तरह से कामयाब रहा था, इसलिए कांग्रेस ने कुछ इसी तरह की रणनीति मध्यप्रदेश में भी शुरू की है।
अब मध्य प्रदेश में हर घर की दीवारों, दुकानदारों तथा आटोरिक्शा पर ‘50 प्रतिशत कमीशन’ वाले पोस्टर जमकर चिपकाए जा रहे हैं। इस पोस्टर में कांग्रेस पार्टी वर्तमान शिवराज सरकार पर 50 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगा रही है। इस बारे में जब कमलानाथ से मीडियावालों ने पूछा तो उन्होंने कहा कि इसे शुरू भी तो पहले बीजेपी ने ही किया था।
गौर करने वाली बात यह है कि शिवराज सरकार ने एमपी की सड़कों पर कमलनाथ से जुड़ा एक पोस्टर चिपकवाया था जिस पर लिखा था ‘करप्शन नाथ’ था। पोस्टर में कमलनाथ पर कई घोटालों के आरोप भी लगाए गए थे। इस संबंध में मध्य प्रदेश के कांग्रेस मीडिया प्रमुख केके मिश्रा का दावा है कि ‘50 फीसदी कमीशन तो अभी बहुत कम बता रहे हैं, महाकाल लोक में यह 80 फीसदी तक पहुंचा है। कमीशन की शुरूआत बीजेपी ने की है, इसे खत्म करेगी कांग्रेस।‘
‘हिन्दुत्व’ बना ‘हिन्दुत्व’ का चुनाव
बता दें कि पिछले कुछ चुनावों में हार-जीत का मुख्य मुद्दा हिन्दुत्व ही रहा है। ऐसे में मध्यप्रदेश में होने वाला विधानसभा चुनाव सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के बीच हिन्दुत्त्व बनाम हिन्दुत्व का मुद्दा बनकर रह गया है। अभी पिछले महीने की 6 तारीख को कमलनाथ ने ट्वीट कर अपने कार्यकाल के कुछ धार्मिक कार्यों को गिनाया था जिनमें महाकाल मंदिर का विकास, ओंकारेश्वर मंदिरों का विकास, राम वन गमन पथ, 1000 से ज्यादा गोशालाओं का निर्माण, सीता माता मंदिर निर्माण, हनुमान मंदिर निर्माण, हनुमान चालीसा आयोजन को शामिल किया था। कांग्रेस सरकार अपने प्रत्येक नए पोस्टर में कमलनाथ को हनुमानभक्त बताने से नहीं चूक रही है।
गौरतलब है कि कांग्रेस हाईकमान ने भी मध्यप्रदेश में चुनावी अभियान शुरू कर दिया है। बता दें कि 12 जून को जब प्रियंका गांधी जबलपुर पहुंची तब उन्होंने नर्मदा आरती में हिस्सा लिया था। मध्य प्रदेश के तकरीबन 24 जिलों से गुजरने वाली नर्मदा केवल नदी नहीं बल्कि एक राजनीतिक और धार्मिक भावना है। हर चुनावी मौके पर राजनीतिक पार्टियां नर्मदा का जमकर इस्तेमाल करती आई हैं। बतौर उदाहरण- नर्मदा बांध विस्थापितों को एक नई जगह बसाने का मुद्दा और उनके मुआवजे की बात आदि। कांग्रेस मीडिया प्रमुख केके मिश्रा कहते हैं कि कांग्रेस एक सेक्यूलर पार्टी है, इसका मतलब यह नहीं है कि पूजा-पाठ की फ्रेंचाइजी केवल बीजेपी के पास है। अब आने वाला वक्त ही बताएगा कि मध्यप्रदेश में कर्नाटक वाला कैम्पेन कितना काम करता है।