वायु प्रदूषण गर्भ में ही बना रहा बीमार, छोटे बच्चों मेंं बढ़े अस्थमा के मामले | Air pollution is making people sick in the womb, cases of asthma increase in young children

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प्लेसेंटा को पार कर भ्रूण तक… प्रदूषित हवा Polluted air में सांस लेना गर्भ में पल रहे बच्चों के मस्तिष्क और फेफड़ों को खतरे में डाल रहा है। बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार मां के सांस के द्वारा प्रदूषण प्लेसेंटा को पार कर भ्रूण तक पहुंच जाता है। गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क और फेफड़ों का विकास प्रभावित होता है। ट्राइलाइफ अस्पताल में पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. सुदर्शन के. एस. ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के बच्चों को अस्थमा हो सकता है। सांस लेने में समस्या हो सकती है या जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में बार-बार निचले श्वसन तंत्र में संक्रमण हो सकता है।

तीन गुना अधिक संवेदनशील बचपन में अस्थमा पर एक जापानी अध्ययन का हवाला देते हुए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एच. परमेश ने कहा कि अगर कोई गर्भवती महिला राजमार्ग से 50-100 मीटर की दूरी पर रहती है, तो उसके द्वारा जन्म लेने वाले बच्चे अस्थमा के प्रति तीन गुना अधिक संवेदनशील होंगे। शहरीकरण का फेफड़ों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

हर दिन देखते हैं प्रभाव बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहन महेंद्रकर वे सप्ताह में बच्चों में अस्थमा के 15 मामले देखते हैं। इनमें से तीन से चार बच्चे के.आर. पुरम, टिन फैक्ट्री सर्किल और सरजापुर रोड जैसे इलाकों से होते हैं। एक शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में वे हर दिन बच्चों के फेफड़ों पर वायु प्रदूषण का प्रभाव देखते हैं।

सांस लेना मुश्किल हवा में तैरते हुए जहरीले कण (ठोस और तरल) कई बीमारियों का प्रमुख कारण हैं। गर्भवती महिला और उसके बच्चे को अक्सर सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है। यह जहरीला कण फेफड़ों, आंखों और गले में जलन पैदा करता है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। बड़े कण खांसने या छींकने से शरीर से बाहर निकल सकते हैं। लेकिन, छोटे कण फेफड़ों में फंस जाते हैं और रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं।

प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था के दौरान अगर मां को अस्थमा हो तो प्रीक्लेम्पसिया नामक स्थिति परेशान कर सकती है। इसमें रक्तचाप बढ़ जाता है और यकृत और गुर्दे की कार्यक्षमता कम हो जाती है। यदि इसका उपचार न किया जाए, तो गर्भस्थ शिशुु को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है। समय से पहले जन्म और कम वजन के अलावा शिशु को विकास संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है चिकित्सकों के अनुसार वायु प्रदूषण से पूरी तरह से बचा तो नहीं जा सकता। लेकिन, गर्भावस्था के दौरान सावधानी बरत इसके प्रभाव को कम जरूर किया जा सकता है। एयर प्यूरीफायर लगवाने से हवा से धुआं, एलर्जी, फफूंद और कीटाणु हटाने में मदद मिल सकती है। घर में पौधे रखने से हवा को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने में मदद मिल सकती है। ऐसे रसायनों से दूर रहें, जिन्हें सांस के जरिए अंदर लिया जा सकता है। अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्रों में जाने से बचें। अपने चिकित्सक से बात कर मास्क का उपयोग करें।



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