मुगल बादशाह शाहजहां अपने बड़े बेटे दाराशिकोह से बहुत ज्यादा स्नेह करता था। यदि हम दाराशिकोह की बात करें तो यह मुगल राजकुमार बेहद जटिल और बहुआयामी व्यक्तित्व का धनी था। दाराशिकोह को यदि हम मुगलराजघराने का सबसे विद्वान शाही शख्स की पदवी से नवाजे तो यह कुछ भी गलत नहीं होगा। शाहजहां का पुत्र दाराशिकोह एक प्रखर विचारक, अनुवादक और कवि होने के साथ-साथ धर्मशास्त्रों का ज्ञाता भी था। दाराशिकोह फाइन आर्ट्स में भी बेहद रूचि रखता था। दाराशिकोह ने 52 उपनिषदों का अनुवाद ‘सिर्र-ए-अकबर’ नाम से करवाया था। इसके अतिरिक्त उसने ‘श्रीमद्भगवत’ और ‘योगवाशिष्ठ’ का भी फारसी अनुवाद करवाया था।
जहां मुगल बादशाह शाहजहां अपने पुत्र दाराशिकोह को सैन्य अभियानों पर भेजने का हिमायती नहीं था, वहीं दाराशिकोह को भी सैन्य मामलों में कोई रूचि नहीं थी। कुल मिलाकर दाराशिकोह का व्यक्तित्व और कृतित्व सूफियों की तरह था। ठीक इसके विपरीत दाराशिकोह की शादी मुगल इतिहास की सबसे महंगी शादी के रूप में जानी जाती है। इस स्टोरी में हम आपको मुगल इतिहास की सबसे महंगी शादी से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों से रूबरू करवाने की कोशिश करेंगे।
शाहजहां अपने पुत्र दाराशिकोह को इतना प्रेम करता था कि उसने पहले ही घोषणा कर रखी थी कि दाराशिकोह ही हिन्दुस्तान की गद्दी पर बैठेंगे। बतौर खर्च दाराशिकोह को 1000 रूपए का दैनिक भत्ता भी दिया जाता था। अब हम बात करते हैं दाराशिकोह की शादी की, जिसमें उन दिनों 32 लाख रूपए खर्च हुए थे। 1 फरवरी 1633 में दाराशिकोह और नादिरा बानी बेगम की शादी हुई थी। इस शादी में नादिरा बानी बेगम ने 8 लाख रूपए का लहंगा पहना था।
दाराशिकोह पर किताब लिखने वाले अवीक चंदा के अनुसार 1 फरवरी 1633 को शादी संपन्न हुई लेकिन इससे जुड़े कार्यक्रम और दावत 8 फरवरी तक चले थे। यानि कि दाराशिकोह की शादी के कार्यक्रम का जश्न लगातार 8 दिनों तक जारी था। हांलाकि दाराशिकोह की शादी से पहले ही उनकी मां मुमताज महल का निधन हो चुका था।.
आगरा में संपन्न हुई दाराशिकोह की शादी में आम से लेकर खास लोगों को दावत दी गई थी। उन दिनों दाराशिकोह की बड़ी बहन जहांआरा को बेगम बादशाह का पद हासिल था। ऐसे में अपने भाई दाराशिकोह की शादी में जहांआरा ने अपनी तरफ से 16 लाख रूपए खर्च किए थे। इसका मतलब यह है कि दाराशिकोह की शादी में खर्च हुए 32 लाख रूपए में से 16 लाख रूपए शहजादी जहांआरा के थे।
नादिरा बानो बेगम और दाराशिकोह एक दूसरे से बेहद मोहब्बत करते थे। इस शादी की सबसे दिलचस्प घटना यह भी है कि शादी के वक्त इतने पटाखे छोड़े गए थे कि आगरा का आसमान जगमगा उठा था। इन पटाखों की रोशनी इतनी ज्यादा थी कि रात में भी दिन जैसा लग रहा था। शादी में पकवान से लेकर लिबात तक सबकुछ शाही अंदाज में आयोजित किया गया था। दाराशिकोह की शादी की पूरी जिम्मेदारी मुगल साम्राज्य के सबसे ताकतवर लोगों में शामिल बादशाह बेगम जहांआरा के हाथों में थी। इस शाही शादी की सभी व्यवस्थाएं जहांआरा ने खुद देखी थी। ऐसे में मुगल इतिहास की शादियों का जब भी जिक्र होता है, तब दाराशिकोह की शादी के बारे में लोग एक बार जरूर चर्चा करते हैं।
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