मि.गांधी को महात्मा, बापू और राष्ट्रपिता की उपाधि क्यों दी? पढ़ें रोचक जानकारी

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दोस्तों, आपको जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय मुक्ति संग्राम के दौरान मोहम्मद अली जिन्ना, विनायक दामोदर सावरकर और डॉ भीम राव अंबेडकर को छोड़कर शायद ही कोई महत्वपूर्ण नेता होगा जिसने मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी, बापू या फिर राष्ट्रपिता छोड़कर मि. गांधी के नाम से संबोधित किया होगा।

बापू का संबोधन

पं. जवाहरलाल नेहरू तथा सरदार वल्लभभाई पटेल भी मोहनदास करमचंद गांधी को बापूजी ही कहंते थे। हांलाकि गुजरात पृष्ठभूमि के तथा उनके करीबी लोग स्थानीय भाषा के अनुसार बापूजी कहकर ही पुकारते थे। ‘बापू’ शब्द पिता का पर्याय है ऐसे में कांग्रेस के ज्यादातर युवा नेता भी बापू नाम के संबोधन को सहज अपना लिया।

महात्मा का संबोधन

यह बता पाना बहुत ही मुश्किल है कि गांधी जी को किस व्यक्ति ने उन्हें महात्मा के नाम से संबोधित किया। हांलाकि इस श्रेय रविन्द्रनाथ टैगोर को दिया जाता है। अमूमन चंपारण सत्याग्रह के बाद गांधी जी को लोग महात्मा कहकर संबोधित करने लगे। गांधीजी के सात्विक रहन-सहन, साधारण वेषभूषा और धार्मिक झुकाव के चलते बिहार की जनता और देश के आमजन खासे प्रभावित हुए और उनके पुकार का नाम महात्मा बनता चला गया। उनके समर्थकों से लेकर विरोधी तक भी गांधीजी को महात्माजी कहते थे। गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे ने भी अदालत में दिए गए बयान के दौरान उन्हें महात्माजी के नाम से संबोधित किया था।

महात्मा का संबोधन

यह बता पाना बहुत ही मुश्किल है कि गांधी जी को किस व्यक्ति ने उन्हें महात्मा के नाम से संबोधित किया। हांलाकि इस श्रेय रविन्द्रनाथ टैगोर को दिया जाता है। अमूमन चंपारण सत्याग्रह के बाद गांधी जी को लोग महात्मा कहकर संबोधित करने लगे। गांधीजी के सात्विक रहन-सहन, साधारण वेषभूषा और धार्मिक झुकाव के चलते बिहार की जनता और देश के आमजन खासे प्रभावित हुए और उनके पुकार का नाम महात्मा बनता चला गया। उनके समर्थकों से लेकर विरोधी तक भी गांधीजी को महात्माजी कहते थे। गांधीजी के हत्यारे नाथूराम गोडसे ने भी अदालत में दिए गए बयान के दौरान उन्हें महात्माजी के नाम से संबोधित किया था।

सुभाषचन्द्र बोस ने गांधी को फ़ॉदर ऑफ़ ऑवर नेशनकहा

आपको बता दें कि सुभाष चन्द्र अपने प्रत्येक संदेशों में गांधीजी को महात्माजी के नाम संबोधित करते थे। लेकिन 6 जुलाई 1944 को जापान से आज़ाद हिन्द रेडियो द्वारा प्रसारित संदेश में उन्हें फ़ॉदर ऑफ़ ऑवर नेशन कहा। अपने भाषण की शुरूआत में हमेशा की तरह सुभाषचन्द्र बोस ने गांधीजी को ‘महात्माजी’ ही कहा लेकिन विस्तार से चर्चा करते हुए जब ब्रिटीश सत्ता से मुक्ति के लिए जापानी मदद को सही ठहराते हुएभाषण की अंतिम पंक्ति में उन्होंने कहा कि हमारे राष्ट्रपिता (फ़ॉदर ऑफ़ ऑवर नेशन) भारत की मुक्ति के इस पवित्र युद्ध में हम आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं की कामना रखते हैं। आजादी की लड़ाई के दौरान यह पहला अवसर था जब किसी बड़ी शख्सियत ने उन्हें राष्ट्रपिता के नाम से पुकारा था।

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