भारत का वह महान संत जिसने बदल दी मार्क जुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स की किस्मत

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कहते हैं नीम करौली बाबा की कृपा से ही जुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स की किस्मत को चार चांद लग गए। इस बारे में मार्क जुकरबर्ग ने साल 2015 में पीएम नरेन्द्र मोदी से बात करते हुए कहा था कि वह बाबा नीम करोली के बहुत बढ़े भक्त हैं। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि वह स्टीव जॉब्स के कहने पर इनके आश्रम में रहने आये थे। उन्होंने कहा कि उन दिनों फेसबुक की हालत कुछ खास नहीं थी, वह इस कंपनी को बेचने पर विचार कर रहे थे। लेकिन वे जैसे ही इस आश्रम में आए उन्हें जैसे कुछ अलग ही मिल गया। सामान्य इंसानों की तरह जीने वाले बाबा नीम करौली किसी को अपना पैर नहीं छून देते थे। वह खुद की बजाय संकटमोचन हनुमान की आराधना करने को कहते थे। कहा जाता है कि बाबा नीम करौली ने स्टीव जॉब्स को अपने मुंह से कटा हुआ सेब दिया था, जिसको प्रेरणा मानकर जॉब्स ने एप्पल के प्रोडक्ट का लोगो बनाया। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स साल 1974-1976 के बीच अध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरू की तलाश थी जो बाबा नीम करौली से मिलकर पूरी हुई।

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भारत एक रहस्यमयी देश है, जो प्रत्येक सदी में महान संतों और नामचीन हस्तियों को जन्म देता है। जी हां, दोस्तों हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के एक महान संत नीम करौली बाबा की जिनके अनुयायी उनकी उपासना हनुमान जी का स्वरूप मानकर करते हैं। उत्तराखंड में मौजूद कैंची धाम में विश्व की नामचीन हस्तियां और आम नागरिक बड़ी संख्या में नीम करौली बाबा का दर्शन करने के लिए आते  हैं। यदि आप भी अपनी कोई अधूरी इच्छा पूरी करने के लिए दर-दर भटक रहे हैं तो आप इस पावन तीर्थ के दर्शन जरूर करें। क्योंकि यहां विश्व की नामचीन हस्तियों की भी मनोवांछित मनोकामनाएं पूरी हुई हैं।  आपको जानकर हैरानी होगी कि फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के सीईओ स्टीव जॉब्स भी नीम करौली बाबा के बड़े भक्तों में से एक हैं।

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मार्क जुकरबर्ग

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कहते हैं नीम करौली बाबा की कृपा से ही जुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स की किस्मत को चार चांद लग गए। इस बारे में मार्क जुकरबर्ग ने साल 2015 में पीएम नरेन्द्र मोदी से बात करते हुए कहा था कि वह बाबा नीम करोली के बहुत बढ़े भक्त हैं। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि वह स्टीव जॉब्स के कहने पर इनके आश्रम में रहने आये थे। उन्होंने कहा कि उन दिनों फेसबुक की हालत कुछ खास नहीं थी, वह इस कंपनी को बेचने पर विचार कर रहे थे। लेकिन वे जैसे ही इस आश्रम में आए उन्हें जैसे कुछ अलग ही मिल गया।

स्टीव जॉब्स

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सामान्य इंसानों की तरह जीने वाले बाबा नीम करौली किसी को अपना पैर नहीं छून देते थे। वह खुद की बजाय संकटमोचन हनुमान की आराधना करने को कहते थे। कहा जाता है कि बाबा नीम करौली ने स्टीव जॉब्स को अपने मुंह से कटा हुआ सेब दिया था, जिसको प्रेरणा मानकर जॉब्स ने एप्पल के प्रोडक्ट का लोगो बनाया। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स साल 1974-1976 के बीच अध्यात्मिक खोज में यहां आए थे। उन्हें एक सच्चे गुरू की तलाश थी जो बाबा नीम करौली से मिलकर पूरी हुई। 

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बाबा के अन्य नामचीन भक्तों में हॉलिवुड की मशहूर अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स और मुम्बईया सिनेमा की हीरोइन अनुष्का शर्मा का नाम भी शामिल है।  बाबा नीम करौली के दर्शनों के लिए हर साल विदेशी भक्त कनाडा, यूएस, जर्मनी, फ्रांस समेत अनेक देशों से कैची धाम आते हैं।

कहा जाता है कि साल 1900 के करीब उत्तर प्रदेश के एक गांव में जन्में बाबा नीम करौली को 17 साल की उम्र में ही आत्मज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। बाबा के जीवनकाल और मृत्यु के पश्चात भी उनके भक्तों ने अलौकिक और दिव्य चमत्कारों का अनुभव किया। बता दें कि संकटमोचन हनुमान जी के अवतार माने जाने वाले बाबा नीम करौली के धाम पर हर साल 15 जून को एक विशाल मेले और भंडारे का आयोजन होता है। कैची धाम में आयोजित भंडारे से जुड़ा नीम करोली बाबा का एक बहुत ही दिलचप्स किस्सा है। भंडारे के दौरान एक बार घी की कमी हो गई, भक्तगण बाबा के पास पहुंचे और भंडारे में घी कम पड़ने की समस्या बताई। बाबा ने घी की जगह शिप्रा का जल डालने की बात कही। उनके सेवकों ने ऐसा ही किया और जल तुरन्त घी में परिवर्तित हो गया। यह किस्सा उनके भक्तों की जुबानी है।

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