भारतीय शहरों में रिवरफ्रंट बनाने की क्यों मची है होड़?

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दोस्तों आपको याद दिला दें कि साल 2000 के दशक की शुरुआत में हर भारतीय शहरों में मॉल बनाने की होड़ मची थी, इसके बाद मेट्रो बनाने की कवायद शुरू हुई और अब रिवरफ्रंट परियोजनाओं का दौर है। इसकी शुरूआत विवादास्पद साबरमती रिवरफ्रंट परियोजना से हुई जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। तब से अब तक पूरे देश में एक दर्जन से अधिक रिवरफ्रंट परियोजनाएं सामने आ चुकी हैं। इनमें गोमती, झेलम, मुला.मुथा, सरयू, ब्रह्मपुत्र, अलकनंदा, तापी और मुसी नदी शामिल है। ये सभी प्रोजेक्ट पिछले से बड़ा और भव्य होने का दावा कर रहे हैं। दरअसल रिवरफ्रंट परियोजना नई मध्यवर्गीय शहरीयता का वादा करता है जो लंबे समय से भारतीय शहरों से गायब है।

दोस्तों, पश्चिम देशों के मुकाबले भारतीय शहरों के योजनाकारों ने नदियों को काफी हद दरकिनार किया, जिससे समय के साथ-साथ नदियां प्रदूषित होती चली गईं। इन नदियों में नहाने और कपड़ा धोने तक तो बात सीमित थी लेकिन लोग इसमें कूड़ा-कचरा भी फेकने लगे। 

सुर्खियों में है चंबल रिवरफ्रंट

इसी क्रम में आजकल कोटा शहर में तैयार हो रहा चंबल रिवरफ्रंट अपनी खूबसूरती को लेकर सुर्खियों में है। कोटा शहर के वरिष्ठ नगर योजनाकार महावीर सिंह मीणा के मुताबिक चंबल रिवरफ्रंट हर किसी को अचंभित कर देगा। उन्होंने इसकी खूबसूरती को लेकर कहा कि ऐसी चीज़ पहले कभी न बनाई गई है और न ही भविष्य में कभी बनाई जाएगी। चंबल नदी कोटा शहर से होकर गुजरती है, जो बूंदी के राजपूत साम्राज्य का हिस्सा था। अपनी असंख्य छतरियों और महलों वाले इस शहर को वास्तव में पर्यटन का वह टैग कभी नहीं मिला जो अन्य बड़े राजस्थानी शहरों को मिला।

कोटा को स्मार्ट बनाने के लिए नए मॉल, होटल और सड़कें बनाई जा रही हैं। इन सबके बीच चंबल रिवरफ्रंट कोटा की खूबसूरती में चार चांद लगा देगा। एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कमल मीणा के मुताबिक चंबल रिवरफ्रंट का 95 फीसदी काम पूरा हो चुका है। मीणा जी कहते हैं कि रिवरफ्रंट से पहले इस जगह की बुरी स्थिति थी जिसे अब स्वर्ग बना दिया गया है,  अब पूरी दुनिया में इस तरह का कोई भी रिवरफ्रंट नहीं है।

एक मिसाल है साबरमती रिवरफ्रंट

कोटा शहर के योजनाकारों को उम्मीद है कि जंबल रिवरफ्रंट भी अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट की तरह सबसे ज्यादा देखे जाने वाला, सेल्फी स्पॉट बन जाएगा। बता दें कि साबरमती रिवरफ्रंट का उद्घाटन साल 2012 में किया गया था। बतौर उदाहरण चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को नरेन्द्र मोदी ने यहीं रात्रिभोज दिया था, साल 2017 के गुजरात चुनाव के दौरान सी.प्लेन पर चढ़ना, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का जश्न और मोदी के 2014 के लोकसभा चुनाव अभियान का भी यह हिस्सा बना था। यहां तक कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने साबरमती रिवरफ्रंट देखने के लिए एक टीम भारत भेजी थी। इस टीम का मकसद भी लाहौर में रावी नदी पर रिवरफ्रंट बनाना था।

रिवरफ्रंट परियोजनाओं पर विचार

यूपी सहित पूरे देश में कई रिवरफ्रंट परियोजनाओं पर विचार किया जा रहा है। बतौर उदाहरण सरयू, प्रयागराज, हिंडन, यमुना, वृंदावन, और कानपुर रिवरफ्रंट के प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है। इसी साल मई के महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सिमरिया धाम में एक रिवरफ्रंट परियोजना की आधारशिला रखी थी। 

गौरतलब है कि  केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा गठित शहरी नियोजन पर उच्च स्तरीय समिति ने देशभर के 25 ऐसे शहरों की पहचान की है जिन्हें अपने संबंधित रिवरफ्रंट को फिर से जीवंत करने के लिए फंड दिया जाएगा। हांलाकि कुछ रिवरफ्रंट परियोजनाएं भ्रष्टाचार के आरोप-प्रत्यारोप में भी उलझी हुई हैं। जैसे-अखिलेश सरकार में शुरू की गई गोमती रिवरफ्रंट परियोजना फिलहाल सीबीआई के घेरे में है।

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