घर खरीदते समय EMI के बोझ को कैसे करें कम ?

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जब भी घर खरीदने जाते हैं तो सबसे पहले बात होती है होम लोन की…कितना लोन मिलेगा, कितनी डाउन पेमेंट देने होगी और सबसे ज़रूरी बात EMI कितनी होगी…जब आप होम लोन लेने जाते है, तो आप अपनी तरफ से 20 प्रतिशत निवेश प्रॉपर्टी में करते हैं…बाकि 80 फीसदी पैसा बैंक आपको होम लोन के जरिये देता है….जिसका वो तगड़ा ब्याज वसूलता है…जिसकी EMI भी दमदार होती है…होमलोन और EMI का क्या है पूरा भंवरजाल आज हम आपको इस वीडियो में विस्तार से समझाएंगे। 

एक उदाहरण के रूप में आप ऐसे समझ सकते हैं कि अगर आप 60 लाख रुपये में घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपको कम से कम 12 लाख रुपए डाउन पेमेंट करनी होगी…बाकी के 48 लाख रूपए आपको बैंक होम लोन के रूप में देगा… लेकिन अगर आपके पास डाउन पेमेंट के लिए 10 लाख रूपए ही हैं तो बैंक आपको मात्र 40 लाख रूपए लोन देगा…ऐसे में आप 60 लाख की बजाय 50 लाख का ही घर खरीद पाएंगे… 

होम लोन लेने से पहले आपको इस बात का भी फैसला करना होगा कि आप हर महीने कितनी EMI दे सकते हैं…आपको इसका आंकलन जरूर करना चाहिए….आपको बता दें कि आप अपनी मासिक आय का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा ही क़िस्त में दे सकते हैं…अगर आपकी आय 80,000 रुपये महीना है और 60 लाख रुपए का घर खरीदना चाहते हैं तो हम बताते पूरा समीकरण क्या होगा…आप कुल कीमत का 20 प्रतिशत यानि 12 लाख रुपये डाउन पेमेंट के लिए जमा कर सकते हैं…आपकी EMI आपकी आय का अधिकतम 40 फीसदी हो सकती है यानि 80 हज़ार की आय पर 40 प्रतिशत के हिसाब से EMI 32,000 रुपये प्रति महीना देना होगा…अगर आपने 20 साल के लिए होम लोन 8 प्रतिशत ब्याज पर लिया है, तो 32,000 रुपये मासिक क़िस्त देनी होगी…जिसमें आपको होम लोन 39-40 लाख रुपये मिल सकता है…40 लाख रुपये का लोन और आपका 12 लाख रुपये के डाउन पेमेंट से आप 60 लाख का घर नहीं खरीद सकते…

ऐसे में आपको ज्यादा डाउन पेमेंट या फिर कम दाम वाले घर का प्लान करना होगा…कई मौको पर देखा गया है पति-पत्नी दोनों ही नौकरीपेशा में हैं तो दोनों मिलकर होम लोन लेकर इस परेशानी से निकल जाते हैं…आप ज्वॉइंट लोन लेकर भी इस समस्या का सामाधान निकाल सकते हैं….

डाउन पेमेंट के लिए अपनी पूरी बचत पूंजी को कभी ना लगाएं…आपात स्थिति के लिए हमेशा कुछ पैसे अलग से होना चाहिए…आप तब क्या करेंगे जब आपको अचानक से किसी खर्च के लिए पैसे की जरूरत पड़ जाए और आप पहले ही घर के डाउन पेमेंट के लिए सब कुछ खर्च कर चुके हों…अगर आप अस्थायी रूप से अपनी नौकरी खो देते हैं, तब आप क्या करेंगे? आपकी आमदनी रुक जाएगी, लेकिन EMI नहीं रुकेगी…ऐसे में आपको बचत ज़रूर करनी चाहिए…अगर आप एक ऐसा घर खरीद रहे हों जिसमें कुछ निर्माण करवाने की ज़रूरत हो तो तो आपको ना केवल EMI का हिसाब देना होगा, बल्कि उस किराए का हिसाब देना होगा जो आप घर का कब्जा मिलने तक चुकाते रहेंगे…EMI तय करते समय इन सब खर्चों को ध्यान में रखेंगे तभी आप आगे की जिंदगी आसान कर पाएंगे…

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