दरअसल, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में यह मामला एक जनहित याचिका के रूप में पहुंचा है। हाईकोर्ट में यशपाल प्रजापति और अन्य ने गुरुग्राम की मेयर और कांग्रेस नेता के खिलाफ जनहित याचिका लगाई है। इसमें मांग की गई है कि भाजपा नेता और गुरुग्राम नगर निगम की मौजूदा मेयर राज रानी मल्होत्रा, कांग्रेस नेता सीमा पाहूजा को जारी हुआ पिछड़ा वर्ग-ए का जाति प्रमाणपत्र अवैध है। इसे रद किया जाए। याचिकाकर्ताओं के वकील मुकेश वर्मा ने बेंच को बताया कि गुरुग्राम नगर निगम मेयर का पद पिछड़ा वर्ग-ए के लिए आरक्षित था। जबकि ये दोनों नेता इस जाति के नहीं हैं।
याचिका में कांग्रेस उम्मीदवार पर भी लगा आरोप
दोनों उम्मीदवारों ने बीसी-ए (Backward Class-A) श्रेणी के अंतर्गत मेयर पद पर नामांकन दाखिल किया। जबकि ये दोनों वास्तव में खत्री जाति से संबंध रखते हैं। जो सामाजिक रूप से उन्नत सामान्य वर्ग में शामिल है। खत्री जाति हरियाणा सरकार द्वारा अधिसूचित बीसी-ए (Backward Class-A) श्रेणी की सुनार या किसी अन्य पिछड़े वर्ग में शामिल नहीं है। उम्मीदवारों ने यह आरोप लगाया कि उन्हें जारी किए गए जाति प्रमाण पत्र सरकारी तंत्र की मिलीभगत से, बिना किसी वैध कानूनी प्रक्रिया और सक्षम प्राधिकारी द्वारा जाति की पुष्टि के, अवैध रूप से जारी किए गए।
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याचिकाकर्ताओं का दावा है कि राजरानी मल्होत्रा को पिछड़ा वर्ग-ए (Backward Class-A) का जाति प्रमाणपत्र 16 फरवरी को रविवार के दिन जिला उपायुक्त कार्यालय में एडीसी (एडिशनल डिप्टी कमिश्नर) द्वारा जारी किया गया। जो नियमों के खिलाफ है। नियमानुसार इस श्रेणी के जाति प्रमाणपत्र जारी करने की अधिकृत शक्ति एडीसी को नहीं है। इस प्रकार यह प्रमाणपत्र नियमों का उल्लंघन करते हुए जारी किया गया और इसका इस्तेमाल चुनाव में लाभ प्राप्त करने के लिए किया गया।
मेयर और उनके पति की प्रतिक्रिया
इस पूरे मामले में जब मीडिया ने मेयर राजरानी मल्होत्रा और उनके पति तिलक राज मल्होत्रा से संपर्क किया तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। दोनों का कहना है कि उन्हें अब तक कोई कानूनी नोटिस नहीं मिला है और उन्हें पूरा विश्वास है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया। उनका कहना है कि जैसे ही उन्हें आधिकारिक रूप से जानकारी प्राप्त होगी। वे उचित जवाब देंगे। वहीं इस मामले को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी सीमा पाहुजा का कहना है कि वह खुद भी कोर्ट गई हैं और भाजपा मेयर का जाति प्रमाण पत्र सही नहीं है। हालांकि उन्होंने अपने प्रमाणपत्र को लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।
22 मई को होगी अगली सुनवाई
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट को अवगत कराया कि जैसे ही उन्हें इस कथित फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, उन्होंने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक प्रमाणों सहित शिकायत सौंपी। उन्होंने आग्रह किया कि दोनों प्रत्याशियों के फर्जी जाति प्रमाण पत्र निरस्त किए जाएं और उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए। हालांकि, अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है और दोनों को इस आधार पर मिले लाभ भी यथावत बने हुए हैं। मुख्य न्यायाधीश शील नागु और न्यायमूर्ति कमरजीत सिंह की खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलीलों को गंभीरता से लेते हुए हरियाणा सरकार को नोटिस जारी किया है और मामले में जवाब मांगा है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 22 मई निर्धारित की है।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
यह मामला हरियाणा की राजनीति में कोई पहला नहीं है। इससे पहले जुलाई 2022 में सोहना नगर परिषद की भाजपा अध्यक्ष अंजू देवी पर भी फर्जी शैक्षणिक दस्तावेज़ों के आधार पर चुनाव लड़ने का आरोप लगा था। इस मामले में हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए अंजू देवी को पद से हटा दिया था, जिससे उस समय भी भाजपा को राजनीतिक तौर पर झटका लगा था।
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अब ठीक उसी तरह का मामला गुरुग्राम की मेयर राजरानी मल्होत्रा के साथ जुड़ गया है, जिससे न केवल उनकी वैधता पर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि भाजपा को भी एक बार फिर असहज स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। इस मामले की अगली सुनवाई उच्च न्यायालय में 22 मई को निर्धारित की गई है। अदालत की अगली कार्यवाही में यह स्पष्ट हो सकता है कि आरोपों में कितनी सच्चाई है और इसका असर मेयर के पद पर पड़ सकता है या नहीं।