हर साल की तरह इस साल भी मॉनसून अपने साथ कई मौसमी बीमारियों को लेकर आया है…लेकिन इस बार डेंगू के अलावा आई फ्लू भी कहर बरसा रहा है…19 साल बाद एक बार फिर दिल्ली-NCR में फिर इस बीमारी ने सबको अपनी चपेट में ले रही है…संक्रमण की वजह एडिनो वायरस है और अपने पीक पर है…अगले कुछ दिनों तक दिल्ली-NCR में इसका कहर जारी रहेगा…
आपको बता दें कि 2004 के बाद इस बार आई फ्लू के मामले इतनी तेजी से फैल रहे हैं…इस बार हर उम्र के लोगों में यह बीमारी देखी जा रही है….ऑफिस में काम करने वाले लोग और स्कूली बच्चे सभी इसका शिकार हैं…इसके संक्रमण से अचानक आंखें लाल हो जा रही हैं, आंख से पानी निकलने लगता है, खुजली भी होती है, जैसे आंख में कंकड़ फंसा हो…इतना ही नहीं संक्रमण से दोनों पलक सूज जाती हैं…
बच्चों में एक्टिव इन्फेक्शन दो से तीन दिनों में ठीक हो जाता है और 5 से 7 दिन में आराम मिल जाता है…लेकिन बड़ों में 10 दिन तक का समय लगता है और कुछ मामलों में ज्यादा समय लग सकता है…कुछ लोगों में वायरस और बैक्टीरिया का डबल संक्रमण भी मिला है…ऐसे लोगों में एंटीबायटिक और डॉक्टर की सलाह पर स्टेरॉयड की जरूरत पड़ती है…स्टेरॉयड का इस्तेमाल बहुत संभल कर करना चाहिए…बिना डॉक्टर की सलाह के इसे ना लें…स्टेरॉयड लेने से 10 फीसदी लोगों में आंखों का प्रेशर बढ़ जाता है…ऐसे में अगर ज़रूरत हो तभी लें…
हालांकि डॉक्टर का ये भी कहना है कि लगभग 20 फीसदी लोगों में डबल संक्रमण देखा गया है जिसमें वायरस के साथ बैक्टीरियल इन्फेक्शन है…वायरस एडिनो है तो बैक्टीरिया स्टेफिलो-कोकस है…इसमें मरीज के आंख से पीले रंग का पानी निकलता है ऐसे में इलाज की जरूरत होती है… बाकी सब अपने आप ठीक हो जाते हैं…यानि इलाज से ज्यादा बचाव की ज़रूरत है जो हो नहीं सकता क्योंकि हम सभी को ऑफिस जाना है…भीड़ में ट्रैवेल करना है…ऐसे में अगर आप संक्रमित हों तो बाहर जाने से बचें इससे दूसरों को संक्रमित नहीं करेंगे
आपको ये जानना ज़रूरी है कि आई फ्लू के संक्रमण में एडिनो वायरस के कारण आंखें लाल हो जाती हैं…साथ ही आंखों में सूजन भी हो जाती है…पानी या चिपचिपा पदार्थ निकलता है…जलन और खुजली महसूस होना, रोशनी के प्रति संवेदनशीलता और सो कर उठने पर पलकों पर पपड़ी जमने सहित कई परेशानियां देखने को मिलती है…
दिल्ली-NCR में बढ़ते मामलों को देखते शिक्षा निदेशालय ने एक एडवारी जारी की है जिसमें कहा गया है कि बच्चों को उन आदतों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए जो उन्हें कंजंक्टिवाइटिस से बचाएंगी…जिसके मामले बढ़ रहे हैं…स्कूलों से मिल रहे आंकड़ों के मुताबिक 4-5 फीसदी छात्र पहले ही संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं…यानि अब बच्चों को खासकर जो स्कूल जा रहे हैं उन्हे ज्यादा सतर्क रहने की ज़रूरत है…
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