इसरो ने कहा है कि ऑप्टिल एवं सिंथेटिक अपर्चर राडार वाले दूर संवेदी उपग्रहों ईओएस-04 (रिसैट-1 ए), ईओएस-06 (ओशियनसैट-3) और रिसोर्ससैट -2ए का उपयोग करते हुए गेंहू बोए गए क्षेत्रों की प्रगति एवं समग्र फसल की स्थिति का व्यवस्थित रूप से आकलन किया गया। यह आकलन गेंहू उत्पादक प्रमुख आठ राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र में किया गया। उपग्रह से मिले आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर 31 मार्च 2025 तक गेहूं का रकबा 330.8 लाख हेक्टेयर था। कृषि मंत्रालय ने 4 फरवरी 2025 तक गेहूं का रकबा 324.38 लाख हेक्टेयर बतायाथा। कृषि मंत्रालय और उपग्रह से मिले आंकड़ों में अधिक अंतर नहीं है।
जनवरी से मार्च तक लगातार निगरानी
इस तकनीक के जरिए फसलों की बुवाई के अलावा उसकी स्थिति, सूखे का प्रभाव और फसल के समग्र स्वास्थ्य की मासिक निगरानी भी की गई। जनवरी में के दौरान मालूम हुआ कि गेहूं की फसलें स्थिर थी। पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में समय पर बुवाई होने के साथ ही फसलों की प्रगति संतोषजनक रही। फरवरी के दौरान बढ़ते तापमान और बारिश की कमी ने गेहूं की फसल को लेकर चिंताओं को जन्म दिया था। उत्पादन में गिरावट के संकेत मिले। लेकिन मार्च के अंत तक पूरे भारत में रबी फसलों मेें उल्लेखनीय प्रगति नजर आई। फरवरी के अंत और मार्च में फसलों के लिए मौसम अनुकूल रहा जिसका सकारात्मक असर फसलों पर पड़ा।
सुनिश्चित हो सकेगी खाद्य सुरक्षा
इसके बाद इसरो वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं उत्पादन का पूर्वानुमान लगाने के लिए 5 किमी गुणा 5 किमी के स्थानिक कवरेज को आधार बनाया। इसके अलावा फसल क्षेत्र, बुवाई की तिथि, फसल की स्थिति, फसल की प्रगति मौसम का प्रभाव आदि से संबंधित आंकड़ों का उपयोग करते हुए सटीक उत्पादन पूर्वानुमान के लिए एक मॉडल तैयार किया गया। इस आधार पर आठ प्रमुख राज्यों में गेंहूं का कुल उत्पादन 122.724 मिलिटन टन (लगभग 12.3 करोड़ टन) रहने का अनुमान जाहिर किया गया है। इसरो ने कहा है कि इस अध्ययन से लगभग रीयल टाइम में फसलों की निगरानी संभव हो सकेगी और समय पर सटीकता के साथ फसल उत्पादन का अनुमान जाहिर किया जा सकेगा। इसका प्रमुख उद्देश्य देश में कृषि नियोजन और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है।